हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार पद्मश्री नरेंद्र कोहली जी का जाना हिन्दी जगत में एक महाशून्य दे गया। कालजयी कथाकार डॉ. नरेन्द्र कोहली ने हिंदी साहित्य के लिए साहित्य का अक्षय भण्डार छोर गए हैं | वे साहित्य यात्रा के परामर्शी थे | आधुनिक युग में इन्होंने साहित्य में आस्थावादी मूल्यों को स्वर दिया| उनका ह्रदय राममय था | रामजी उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें | साहित्य यात्रा के सम्मानित रचनाकारों से अनुरोध है कि ‘साहित्य यात्रा’ का अप्रैल-जून अंक फणीश्वरनाथ रेणु पर केन्द्रित होगा। ‘साहित्य – यात्रा’ के प्रस्तावित रेणु विशेषांक के लिए आप रचनाकारों से रचना आमंत्रित किये जा रहे हैं। अनुरोध है कि रेणु के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर केन्द्रित शोध आलेख, संस्मरण, समीक्षा, पत्र, डायरी अंश, दुर्लभ चित्र आदि पत्रिका के ईमेल पर प्रेषित कर दें। रचना मौलिक हो, क्रुतिदेव मे टंकित हो तथा वर्ड फार्मेट मे निम्न मेल पर भेजने का कष्ट करें। संपादक सूचना-2 साहित्य यात्रा का जनवरी-मार्च 2021 अंक प्रकाशनाधीन है। शीघ्र आपके हाथ मे होगा।

एक नज़र

साहित्य समय के साथ चलते हुए काल की गतिविध्यिों का लेखा-जोखा लेता चलता है। यह जीवन पर समय के पड़ने वाले प्रभावों का साक्षी होता है। जीवन के समानान्तर साहित्य की भी अपनी यात्रा अनवरत चलती रहती है। इसीलिए यह समय और जीवन दोनों का सहचर कहलाता है। इस संदर्भ में यदि पत्रिकाओं की बात की जाए तो वे ज्यादा समय सापेक्ष होती हैं और समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती हैं। इसमें तत्कालीन जीवन की गतिविध्यिों की जितनी सूक्ष्म पकड़ होती है उतनी अन्यत्र नहीं, इसलिए यदि पत्रिकाओें को ‘समय का दस्तावेज’ कहा जाए तो अनुचित नहीं होगा। समय की उसी पगडंडी पर एक और नए यात्री ने आरंभ करने की कोशिश की है-साहित्य यात्रा। हिन्दी की श्रीवृद्धि और पठन अभिरुचि के विकास में लघु पत्रिकाओं का योगदान अतुलनीय है। अक्षर की दुनिया का विस्तार तो जरूरी है। इसी जरूरत की पूर्ति में एक और अक्षर के योग के लघु प्रयास का नाम है ‘साहित्य यात्रा’।

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